18वीं शताब्दी के अंतिम दशक में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी। इससे देश में भोजन की मांग भी बढ़ने लगी। सरकार ने बड़े भूस्वामियों के दबाव में कानून पास करके मक्के के आयात पर रोक लगा दी। जिस कानून की सहायता से मक्के के आयात पर रोक लगाई थी, उसे ही ‘कॉर्न-लॉ’ कहा जाता था।